5 अप्रैल को दिल्ली के रामलीला मैदान में मजदूर किसान संघर्ष रैली का आयोजन।
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फरीदाबाद, 1 अप्रैल (अरुण शर्मा)। बेरोजगारों को रोजगार देने, न्यूनतम वेतन 26 हजार रूपए लागू करने, शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और आवास की गारंटी देने के साथ-साथ 4 लेबर कोड्स रद्द करने सहित सार्वजनिक क्षेत्र के निजी करण और ठेका प्रथा पर रोक लगाने की मांग को लेकर आगामी 5 अप्रैल को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली मजदूर किसान संघर्ष रैली में मौजपुर गांव के ग्रामीण बड़ी संख्या में भाग लेंगे। यह निर्णय आज शनिवार को मौजपुर गांव बल्लभगढ़ तहसील में सम्पन्न हुई मीटिंग में लिया गया। इस मीटिंग की अध्यक्षता ग्रामीण सफाई-सफाई कर्मचारी यूनियन के जिला प्रधान महेंद्र सिंह ने की जबकि संचालन राजू उपप्रधान ने किया।
इस अवसर पर सीटू के जिला सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल विशेष रूप से उपस्थित रहे। उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सीटू के जिला सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने केंद्र और राज्य सरकार पर महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी को बढ़ाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मेहनतकश जनता सडक़ों पर आकर संघर्ष कर रही है, लेकिन सरकार आम लोगों की ज्वलंत समस्याओं की अनदेखी कर रही है। खाद्य पदार्थों, जीवन रक्षक दवाइयों की कीमतों में लगातार बढ़ रही है। बेरोजगारी नहीं रुक रही रही है। सरकारें सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण कर रही हैं। हमारी राष्ट्रीय संपत्ति को निजी कॉरपोरेट्स को सौंपने का काम तेजी से किया जा रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, परिवहन, बैंक, बीमा, एलआईसी, रेलवे, बंदरगाहों, हवाई मार्गों का निजीकरण करके ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है। ताकि स्वीकृत पदों को समाप्त किया जा सके। सरकार के द्वारा ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा देकर स्थाई प्रवृत्ति के कार्यों को अस्थाई स्थापना से पूरा करवाया जा रहा है। ताकि इन कामों को करने वाले वर्करों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी और अन्य सुविधाएं प्रदान नहीं करनी पड़े। सरकार सार्वजनिक क्षेत्रों का विस्तार करने के बजाय उनके आकार को घटा रही है। इस वजह से बेरोजगारी बढ़ रही है।
कर्मचारियों को संबोधित करते राज्य प्रधान देवी राम ने बताया की रैली में शामिल होने के लिए यूनियन प्रत्येक कर्मचारी से जनसंपर्क स्थापित कर रही है। ताकि अधिक से अधिक लोगों को रैली में शामिल किया जा सके। उन्होंने बताया कि ग्रामीण चौकीदारों के साथ अन्याय हो रहा है। इनको 10 माह से वेतन नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी वर्करों को वर्ष 2019 से ईंधन की धनराशि नहीं मिल रही है। उन्होंने डीडीपीओ पर ग्रामीण सफाई कर्मचारियों की मांगों का समाधान नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीडीपीओ बल्लभगढ़, ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार करते हैं। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारियों के द्वारा सरकार से जारी पत्रों की अनदेखी की जा रही है। ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को काम करने के लिए औजार प्रधान नहीं मिल रहे हैं। नए सरपंच ग्रामीण सफाई कर्मचारियों से अधिक काम करने की उम्मीद रखते हैं, लेकिन काम करने के लिए सुविधाएं प्रदान नहीं करते हैं। आज की सभा को राजू नरियाला, मनोज हंस, राजु सुनपेड, सुनील फतेहपुर, दिनेश पाली जिला सचिव ने भी संबोधित किया।
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