अमृता हॉस्पिटल ने जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) पर एक सीएमई का किया आयोजन। – Republic Hindustan News

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अमृता हॉस्पिटल ने जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) पर एक सीएमई का किया आयोजन।

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      फरीदाबाद, 2 जनवरी (अरुण शर्मा)। अमृता हॉस्पिटल ने फरीदाबाद चैप्टर की इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) के सहयोग से जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) पर एक सीएमई का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में फरीदाबाद, बल्लभगढ़ और पलवल के 25 से अधिक बाल रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया।
अमृता अस्पताल के प्रमुख विशेषज्ञों ने दर्शकों को संबोधित किया, जिसमें बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी और वयस्क जन्मजात हृदय रोग के हेड डॉ. एस राधाकृष्णन और बाल चिकित्सा और जन्मजात हृदय सर्जरी के हेड डॉ. आशीष कटेवा शामिल थे। फरीदाबाद चैप्टर की इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अध्यक्ष डा. अनिल नागे और सचिव डॉ. धनसुख कुमावत भी मंच पर मौजूद थे।
अमृता अस्पताल के बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी और वयस्क जन्मजात हृदय रोग विभाग के हेड डॉ. एस राधाकृष्णन सीएचडी के लक्षणों के बारे में बात की और साथ ही सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता कब होती है इस बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में 95 प्रतिशत की तुलना में, भारत में अभी भी जन्मजात हृदय रोग वाले 2 प्रतिशत से कम बच्चों का गर्भ में निदान किया जाता है। जन्म के बाद निदान होने पर भी बच्चे बेहद क्रिटिकल स्टेज में हॉस्पिटल पहुंचते हैं, उस वक्तत उनकी जान बचाना किसी चुनौती से कम नहीं होता है। फीटल ईसीएचओ और ईसीएचओ कार्डियोग्राफी जैसी तकनीकों से अब हम सीएचडी का आसानी से निदान कर पाते हैं। बाल रोग विशेषज्ञों को सीएचडी के चेतावनी संकेतों के बारे में शिक्षित करने और इसे जल्दी पहचानने के तरीके की तत्काल आवश्यकता है। इस सीएमई का आयोजन उसी दिशा में एक कदम है।
फरीदाबाद चैप्टर की इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अध्यक्ष डॉ. अनिल नागे ने कहा कि सीएमई बाल रोग विशेषज्ञों को सीएचडी के बारे में शिक्षित करने के लिए आयोजित किया गया था, विशेष रूप से खतरनाक स्थितियों के लिए जिन्हें तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि भारत में, अधिकांश बाल हृदय देखभाल सुविधाएं शहरों में हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में सीएचडी के उचित निदान और उपचार को मुश्किल बनाती हैं। सीएचडी की बेहतर समझ के लिए बाल रोग विशेषज्ञों के उचित प्रशिक्षण के साथ हमें भारत के सभी हिस्सों में इस तरह की और सुविधाओं की आवश्यकता है।

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