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पेंशन रोकने के लिए धन की कमी एक वैध आधार नहीं : उच्च न्यायालय।

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       फरीदाबाद, 9 अक्टूबर (अरुण शर्मा)। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि कर्मचारियों के पेंशन लाभ को रोकने के लिए धन की कमी एक वैध आधार नहीं है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति हरसिमरन सिंह सेठी ने हरियाणा राज्य और फरीदाबाद नगर निगम के आयुक्त को यह भी आदेश दिया है कि इसके दो सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जारी पेंशन लाभ पर देय तिथि से वास्तविक भुगतान के दिन तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज का भुगतान किया जाए।
म्युनिस्पिल कारपोरेशन ईम्पलाईज फैडरेशन के संस्थापक महासचिव रतन लाल रोहिल्ला ने माननीय उच्च न्यायालय के उक्त निर्णय को एक ऐतिहासिक निर्णय बताते हुए कहा कि इस निर्णय से निगम के हजारों कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से फरीदाबाद नगर निगम प्रशासन के उन अधिकारियों की तानाशाही पर रोक लगेगी जो धन का अभाव का झूठा बहाना बनाकर निगम के सेवानिवृत अधिकारियों व कर्मचारियों को दो दो साल तक उनके सेवानिवृति लाभ का भुगतान नहीं करते थे।
रोहिल्ला ने आज यहां जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में बताया कि फरीदाबाद नगर निगम के सेवानिवृत सहायक गिरिराज सिंह और एक अन्य कर्मचारी राजकुमार विद्युतकार के द्वारा अलग-अलग याचिकाओं के माध्यम से हरियाणा राज्य और फरीदाबाद नगर निगम प्रशासन के खिलाफ न्यायालय में जाने के बाद यह मामला न्यायमूर्ति सेठी के संज्ञान में लाया गया। अन्य बातों के अलावा उक्त सेवानिवृत कर्मचारियों ने तर्क दिया कि एमसीएफ के द्वारा धन की कमी के आधार पर पेंशन लाभ जारी नहीं किया जा रहा था, हालांकि वे सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने पर 31 मार्च 2021 को सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे। न्यायमूर्ति सेठी ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि प्रतिवादियों ने माननीय न्यायालय के द्वारा जारी नोटिस आफ मोशन का जवाब दाखिल करते हुए कहा कि लाभ 5 अप्रैल 2022 को जारी किया गया थाए लेकिन याचिकाकर्ताओं के वकील का तर्क था कि लाभ देरी के बाद जारी किया गया था इस प्रकार, याचिकाकर्ता ब्याज अनुदान के हकदार थे।
न्यायमूर्ति सेठी ने नगर निगम के वकील के द्वारा प्रस्तुत इन दलीलों पर भी ध्यान दिया कि निगम के पास धन की कमी थी और यही पेंशन लाभ जारी नहीं करने का एक वैध कारण था अत: इसी आधार पर देरी से किये गये भुगतान के कारण कर्मचारियों के द्वारा ब्याज मांगने के अनुरोध को अस्वीकार किया जाए, लेकिन न्यायमूर्ति सेठी ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने और रिकार्ड का अध्ययन करने बाद सेवानिवृति लाभों का धन की कमी के आधार पर रोकने को कानूनसम्मत नहीं बताया और देरी से किये सेवानिवृति लाभों पर ब्याज की गणना करके तीन महीने के अंदर-अंदर इसका भुगतान याचिकाकर्ताओं को करने का आदेश दिया।

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