कलियुग में पापों से बचने के लिए भगवान का नाम जप एक अमोलक निधि है-जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी ।
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फरीदाबाद, 13 जुलाई (अरुण शर्मा)। श्री सिद्धदाता आश्रम में श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव के दूसरे दिन हजारों की संख्या में भक्त पहुंचे।
इस अवसर पर श्री गुरु महाराज ने कहा कि गुरु और शिष्य का संबंध लौकिक दिखते हुए भी पारलौकिक है। यह संबंध दीक्षा से प्रारंभ होता है और जन्म जन्मांतर तक चलता है। वास्तव में दीक्षा एक शिष्य के जीवन में शरणागति का महापर्व है जिसमें वह गुरु के निर्देश पर परमात्मा की शरणागति लेता है। वहीं गुरु के वचनों को भी जीवन में अंगीकार करता है। इस प्रकार वह अपने इस जीवन को सफल बनाने का उद्यम करता है।
जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने कहा कि गुरु से प्राप्त मंत्र का जाप करें। यह मंत्र आपके अशुद्ध संस्कारों को शुरू करेगा। इससे आपका मनए चित्त और इन्द्रियां भी शुद्ध होंगी और आपसे पाप होने ही नहीं पाएगा। श्री गुरु महाराज ने कहा कि कलियुग में पापों से बचने के लिए भगवान का नाम जप एक अमोलक निधि है क्योंकि इस युग में लोगों के पास समय का अभाव है और वह भारी भारी विधियों को धारण नहीं कर सकते हैं, उन्हें समय नहीं दे सकते हैं।
इससे पहले उन्होंने श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम और स्मृति स्थल पर वैकुंठवासी गुरु महाराज स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज का पूजन किया और लोककल्याण के लिए प्रार्थना की। इस अवसर पर जयपुर राजस्थान से आए गायक संजय पारिख और लोकेश शर्मा ने सुमधुर भजन सुनाए। सभी भक्तजनों को श्री गुरु महाराज ने आशीर्वाद एवं प्रसाद प्रदान किया। सभी भक्तों के लिए भोजन प्रसाद की उत्तम व्यवस्था के साथ साथ आश्रम के बाहर अनेक लंगरों की भी व्यवस्था थी।
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