दुष्कर्म का आरोपी रिहा, पीड़ीता कटघरे मे। जानिये बजह !
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युवती से 4 साल तक दुष्कर्म करने वाले आरोपी को हाई कोर्ट ने राहत दे दी है. कोर्ट ने आरोपी की जमानत मंजूर करते हुए पीड़िता को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है. युवती ने शिकायत की थी कि आरोपी ने उस पर धर्मांतरण का दबाव डाला और चार साल तक उसके साथ दुष्कर्म किया. हांलाकि, सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा है कि युवती अपनी मर्जी से ही 4 साल तक आरोपी के साथ रही है. ऐसे में जब प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश लागू हुआ, तो अचानक उसे अपने अधिकारों की जानकारी हो गई. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि युवती के कृत्य से उसकी मानसिकता उजागर होती है।
बता दें, आरोपी का नाम मुन्ना खान है और वह महोबा का रहने वाला है. मुन्ना ने कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी, जिसके बाद जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की सिंगल बेंच ने इसपर सुनवाई कर उसकी जमानत मंजूर कर ली है. जस्टिस चतुर्वेदी ने कहा कि पीड़िता मुन्ना के साथ सभी कार्यों में अपनी मर्जी से भाग लिया. इससे साफ पता चलता है कि वह मुन्ना के साथ अपनी मर्जी से रह रही थी, न की जबरदस्ती. कोर्ट ने यह भी कहा है कि पीड़िता ने दूसरे व्यक्ति के साथ शादी की, उसके बाद भी आरोपी मुन्ना से रिश्ता बनाए रखा. इसकी जिम्मेदार पीड़िता है।
बता दें, पीड़ित युवती ने मुन्ना खान के खिलाफ 4 मार्च 2021 को महोबा कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था. IPC की कई धाराओं सहित धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत भी मुन्ना पर केस किया गया था. बताया जा रहा है कि पीड़िता और आरोपी दोनों ही महोबा के बजरिया इलाके में साथ ही रहते थे. पीड़िता ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि मुन्ना ने उसकी अश्लील तस्वीरें और वीडियो बना रखे थे, जिनके जरिये वह ब्लैकमेल करता था और दुष्कर्म करता था. लेकिन पीड़िता ने चार साल में मुन्ना के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई, न ही कभी विरोध ही किया. दिसंबर 2020 में किसी और से शादी होने के बावजूद वह कुछ महीने बाद फिर से मुन्ना के पास आई और साथ रहने लगी।
कोर्ट का कहना है कि महोबा इतना बड़ा शहर नहीं है कि पीड़िता को अपने ही इलाके के किसी व्यक्ति की पृष्ठभूमि या धर्म के बारे में न जानती हो. वह भी 4 साल तक उसके साथ रहने के बाद. वहीं, पुलिस को आरोपी के पास से फोटो या वीडियो बरामद नहीं हुए. पीड़िता ने खुद पुलिस को बताया था कि वह 4 सालों से आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी. आज तक उसने धर्म नहीं बदला है. ऐसे में अधिनियम की धारा 12 इस मामले में अप्लाई नहीं होगी।
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