दिसंबर तक तेल के भाव सामान्य होने के आसार !
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तेल के रेट तो महंगाई के मामले में आसमान ही नही छू रहा बल्कि अब तो उससे भी ऊपर पहुंचता नजर आने।लगा है. खबर के मुताबिक, इसके बिल्कुल सामान्य होने में दिसंबर तक का समय लग सकता है. लेकिन राहत देने वाली बात यह है कि रेट कम होने शुरू हो गए हैं. पिछले कुछ दिनों में सरसों के तेल की कीमत थोक बाजार में 10 से 15 रुपए की कम हुई है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि इंटरनेशनल मार्केट में सोया और पॉम ऑयल के रेट बढ़ने की वजह से कीमतें बढ़ी हैं, लेकिन अब रेट गिरने शुरू हो चुके हैं. ऑयल का उत्पादन देश में केवल 40% ही होता है, 60% आयात किया जाता है।
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग सचिव सुधांशु पांडेय के अनुसार तेल की कीमतों में इजाफा होने का कारण इंटरनेशनल मार्केट में पॉम और सोया ऑयल महंगा होना है लेकिन अब राहत की बात है कि इंटरनेशनल मार्केट में तेल की कीमतों में गिरावट आनी शुरू हो गई है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि सरसों समेत अन्य तेल की कीमतें भी खुदरा में नीचें गिरनी शुरू हो जाएंगी या हो चुकी हैं. लेकिन कीमत बिल्कुल सामान्य होने में थोड़ा समय लग सकता है, संभावना व्यक्त की जा ही है कि दिसंबर तक कीमतें बिल्कुल सामान्य हो जाएंगी. देश में ऑयल सीड्स का प्रमुख रूप से आयात मलेशिया, इंडोनेशिया, अर्जेंटीना और अमेरिका से होता है।
ऑयल सीड्स ट्रेडर्स एसोसिएशन दिल्ली के उपाध्यक्ष हेमंत गुप्ता बताते हैं कि पिछले कुछ दिनों में सरसों के तेल की कीमतों में 10 से 15 रुपए प्रति किलो की गिरावट आई है. मौजूदा समय सरसों का तेल 145 से 150 प्रति किलो थोक बाजार में बिक रहा है. उन्होंने बताया कि इंटरनेशलन मार्केट में पॉम और सोया ऑयल के बढ़ने का कारण चीन द्वारा जरूरत से कई गुना अधिक खरीदना है. मांग बढ़ने से इंटरनेशलन मार्केट में ऑयल की कीमतें बढ़ी थीं, लेकिन ऑयल के दामों में गिरावट से आम लोगों को भी जल्द राहत मिलनी शुरू हो जाएगी।
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