सरकार व स्कूलों की आपसी सांठगांठ के चलते 134ए की तरह चिराग योजना भी हुई फेल।
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फरीदाबाद, 31 जनवरी (अरुण शर्मा)। हरियाणा सरकार द्वारा 134ए खत्म करके गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई कराने के लिए शुरू की गई नई योजना चिराग पूरी तरह से फेल हो गई है। इस योजना में ना तो प्राइवेट स्कूल संचालक कोई रुचि नहीं ले रहे हैं और ना अभिभावक। इस योजना के पोर्टल पर आखिरी तारीख 31 जनवरी तक एक भी निजी स्कूल ने अपने को रजिस्टर्ड नहीं किया है। जब कि सरकार की ओर से इस योजना में रजिस्ट्रेशन के लिए एक माह पहले ही पोर्टल खोल दिया गया था। हरियाणा अभिभावक एकता मंच का आरोप है यह सब सरकार व स्कूलों की आपसी सांठ-गांठ के चलते हो रहा है। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व संरक्षक सुभाष लांबा ने कहा है सरकार ने पहले 134ए को खत्म किया जब इसका चौतरफा विरोध हुआ तो सरकार दिखावे के तौर पर यह चिराग योजना लाई। जिसका कोई औचित्य ही नहीं था। मंच का कहना है कि एक ओर सरकार यह दावा कर रही है कि उनके सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधरा है और अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला कराने में रुचि ले रहे हैं तो दूसरी ओर चिराग योजना के तहत अपने ही सरकारी स्कूलों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला करवाने का प्रयास कर रही है। सरकार धीरे-धीरे सरकारी स्कूलों को समाप्त करना चाहती है।
मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व लीगल एडवाइजर एडवोकेट बीएस विरदी ने कहा है कि सरकार हमेशा गरीब परिवारों के बच्चों के साथ छलावा करती है और प्राइवेट स्कूलों की सशक्त लावी के दबाव में काम करती है। कैलाश शर्मा ने कहा है कि सरकार अभिभावक व अध्यापक संगठनों की आपसी फूट का फायदा उठा रही है।
प्राइवेट स्कूलों की कई एसोसिएशन व संगठन हैं लेकिन वे चोर चोर मौसेरे भाई की तरह अपने हितों के लिए वे सभी एकजुट हो जाते हैं और सरकार पर मिलकर दबाव डालते हैं और अपने मकसद में कामयाब हो जाते हैं। उनके इस कार्य में सत्तारूढ़ दल के साथ प्रत्येक पार्टी के सांसद विधायक नेता उनका पूरा साथ देते हैं। इसके विपरीत अभिभावक व अध्यापकों के कई संगठन सरकार व प्राइवेट स्कूलों के नापाक गठबंधन के खिलाफ एकजुट होकर आवाज नहीं उठाते हैं इसी का नतीजा है कि प्राइवेट स्कूल संचालक सरकार की शह पर शिक्षा का पूरी तरह से व्यवसायीकरण कर रहे हैं। सरकार भी छात्रों, अभिभावक व अध्यापकों के हित में कोई भी कार्य नहीं कर रही है।
मंच का कहना है कि सरकारी स्कूलों के अस्तित्व को बचाने व शिक्षा के व्यवसायीकरण को रुकवाने के लिए प्रदेश के सभी छात्र अभिभावक व अध्यापक संगठनों को एकजुट होकर कार्य करना चाहिए। मंच इसके लिए कार्य कर रहा है।
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