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2018 मे नही था कोरोना, फिर भी ऐसी ही थी गंगा किनारे की तस्वीर!

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संगम नगरी प्रयागराज में गंगा किनारे शवों को दफ़नाने को लेकर विपक्षियों के हमले को झेल रही योगी सरकार ने एक मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए ट्वीट किया है कि यह कोरोना महामारी की वजह से नहीं बल्कि पुरानी परंपरा है. दरअसल, एक हिंदी दैनिक में प्रकाशित खबर को ट्वीट करते हुए योगी आदित्यनाथ ऑफिस ने लिखा है कि 4 साल पहले न कोरोना जैसी आपदा थी और न लकड़ियों की कमी, फिर भी तस्वीरें ऐसी ही थीं. यानी गंगा किनारे शवों को दफ़न करने की परंपरा काफी अरसे से चली आ रही है।

दरअसल एक हिंदी दैनिक ने अपने फोटोग्राफर द्वारा 18 मार्च 2018 को संगम किनारे खींची गई तस्वीर के हवाले से एक खबर छापी है. खबर के मुताबिक यह तस्वीरें 2019 के कुंभ से पहले की है. तस्वीरों के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि कोरोना महामारी के इस दौर में जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं, उसमें कुछ भी नया नहीं. इसी खबर को योगी आदित्यनाथ ऑफिस ने ट्वीट किया है।

दैनिक खबर में छपी खबर में प्रयागराज के डीएम भानुचंद्र गोस्वामी कहा है कि संगम नगरी के शृंगवेश्वर  फाफामऊ घाट पर शवों को दफ़नाने की परंपरा वर्षों पुरानी है. जिलाधिकारी ने कहा कि हमें न तो परंपरा को ठेस पहुंचानी है और न ही पर्यावरण को प्रदूषित करना है. हमें बीच का रास्ता निकालना है. इसलिए हम लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे शवों का दाह संस्कार करें. गरीब परिवार के लिए आर्थिक मदद भी दी जा रही है।

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