प्रथम नवरात्रि के शुभ मुहुर्त पर माता रानी की ज्योति प्रचंड की। – Republic Hindustan News

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प्रथम नवरात्रि के शुभ मुहुर्त पर माता रानी की ज्योति प्रचंड की।

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     फरीदाबाद, 26 सितम्बर (अरुण शर्मा)। पावन सिद्धपीठ श्री हनुमान मंदिर 1बी बलॉक में सोमवार को प्रथम नवरात्रि के शुभ मुहुर्त पर युवा नेता एवं समाजेवी भारत अशोक अरोड़ा ने टिंकू कुमार, कमल अरोड़ा, राकेश पंडित एवं जितेंद्र के साथ मिलकर माता रानी की ज्योति प्रचंड की। उन्होंने विधिवत रूप से माता रानी की पूजा अर्चना की और कहा कि मां दुर्गा की उपासना का पावन पर्व आज से प्रारंभ हो रहा है। नवरात्रि को पूरे देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। साल में नवरात्रि दो बार आते हैं। एक बार चैत्र नवरात्रि और दूसरे शारदीय नवरात्रि। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है। माता रानी को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त उपवास भी करते हैं। हिन्दु धर्म में शारदीय नवरात्रों का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विजयादशमी से पहले भगवान श्रीराम जब रावण से युद्ध कर रहे थे, तो उनके लिए रावण के बाणों का सामना करना मुश्किल हो रहा था। हालांकि भगवान श्रीराम धर्म की लड़ाई लड़ रहे थे और रावण अधर्म की बावजूद इसके देवी मां की शक्तियां रावण के पक्ष में रावण के साथ खड़ा होकर भगवान श्रीराम को अचंभित कर रही थी। क्योंकि रावण देवी अपराजिता की पूजा करते थे, जिसकी पूजा करने से सभी दिशाओं में विजयश्री मिलती थी। इसलिए जब युद्ध चल रहा था, तो श्रीराम ने देवी अपराजिता की पूजा आरंभ की, जो नौ दिनों तक चली। भगवान राम ने देवी मैया के सभी स्वरूपों की पूजा की और 108 कमल के फूल देवी की पूजा में चढ़ाए, लेकिन इस दौरान भी देवी मैया ने राम की परीक्षा ली और जब वह 108 पुष्प देवी मैया को अर्पित कर रहे थे तो, उसमें से एक पुष्प देवी मैया ने कम कर दिया। बिना 108 पुष्पों के पूजा अधूरी रह जाती, जब भगवान पुष्प अर्पित करने चले तो, उन्होंने पाया कि 107 पुष्प हैं। तब उनको अपनी मां की एक बात याद आई। उनकी मां कौशल्या कहा करती थी कि मेरा बेटा कमल नयन है और उसके नयन पुष्प के समान है, तो भगवान श्रीराम ने उस समय तीर निकालकर अपनी आंख देवी को समर्पित करने के लिए उठा लिया। तब जाकर देवी प्रसन्न हुई और भगवान श्रीराम को साक्षात दर्शन दिए। देवी के प्रसन्न होने के साथ ही भगवान राम ने दसवें दिन रावण का वध कर दिया और तभी से नवरात्रों की शुरूआत हुई। नौ दिन नवरात्रों के बाद तभी से दसवें दिन को दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
इस अवसर पर मंदिर के प्रधान अशोक अरोड़ा ने आई हुई समस्त संगत का धन्यवाद किया। नवरात्रि के इस शुभ अवसर पर सतीश वाधवा, राधेश्याम कुमार, पवन कुमार, बंसीलाल अरोड़ा, बल्लू कुमार मनोहर नागपाल आदि मौजूद रहे।

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